चाहता तो हु
चाहता तो हु
जंजीरे टूट जाए ये.
पर सलाखों के पीछे,
बस इन्तेज्जर करता हु.
अनभिज्ञ अब तक इससे
सलाखिएँ मोड़ सकता हु,
जंजीरे तोड़ सकता हु.
जंजीरे टूट जाए ये.
पर सलाखों के पीछे,
बस इन्तेज्जर करता हु.
अनभिज्ञ अब तक इससे
सलाखिएँ मोड़ सकता हु,
जंजीरे तोड़ सकता हु.
2 Comments:
jaagoge, to dekhoge
ki koi zanzeerein kabhi thi he nahi
jo tha,
keval ek bhram tha
keval ek bhram
Excellent, love it! » »
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