Friday, March 27, 2009

Bookmark and Share

चले है हम

चले है हम
आज यहाँ से
साथ नही कल अपना होगा
तुम होगे उधर कही,
दूर कही घर अपना होगा

दौड़ पड़े है आज खुशी में
कैदी जो छूटा जंजीरों से
पर क्या हमने तुमने सोचा ?
साथ में कितने रिश्ते नाते टूटे ?

याद तुम्हे भी आएगी
ये दुरी जब बढ़ जाएगी
आज सताते हम एक दूजे को
कल यादे हमें सताएगी

0 Comments:

Post a Comment

<< Home