Monday, September 10, 2007

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अभिमान..

तुम्हारे शब्दो और
हरकतो पे लगाम लगाए
तुम्हारा अभिमान
मेरे सामने मुस्करा रहा था.
हैरान मै ही नही,
तुम भी थी.

Sunday, September 09, 2007

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न जाने क्यो....

तुम बूरे थे...
आखिर कैसे ??
ये मुझे याद है..
तुम्हारी अच्छाईयो को मै भूल गया...

न जाने क्यो ...

न जाने क्यो
मुझे याद है तुम्हारे शरारते
तुम्हारी शराफ़त को मै भूल गया...