Wednesday, November 23, 2005

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सुनामी के बाद

उन्होंने
लाशो को,
जाति के आधार पर बांटा.
घायलों को,
जाति के आधार पर राहत पहुचाई।

राहत पहुचने वाले भी,
जाति के आधार पर बट गए.
सुनामी ने मचाई तबाही .
हजारो दीवारें तोड़ डाली.
और खड़ी कर गई जातियों के बीच,
हजारों दीवारे
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वास्तविकता

पर सच ये भी है,
जीवन स्थिर और
रुक सा नही जाता
किसी के जाने के बाद।

अतीत के पन्ने
धूमिल होते चले जाते है.
धीरे-धीरे,
नई-नई खुशियाँ
पुराने गमो को कम कर देती है.
ऐसे दिन भी आए
जब एक पल भी
आपकी याद न आई हो.
और आज इतने दिनों बाद,
अचानक आंसू फुट पड़े.
पर क्या ये दो बूँद आंसू,
जीवन भर के गमो को
कम कर पायेंगे?

जवाब जो भी हो,
पर सच ये भी है,
जीवन स्थिर
और रुक सा नही जाता,
किसी के जाने के बाद.

Saturday, November 05, 2005

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Friday, November 04, 2005

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सोच को आराम देने से दर्द होगा.

जानते हो दोस्तों
दर्द दिल में छुपाकर,
कैसे मै जीता हु?
मै दौड़ता हु.
मै भागता हु.
और फ़िर सो जाता हु.
बस कभी भी रुकता नही.
शायद मै जानता हु,
सोच को आराम देने से दर्द होगा.