Saturday, March 28, 2009

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क्या पैसो से सबकुछ ख़रीदा जा सकता है?

अब ,
जब बिक जाते है ज़मीर
चंद सिक्को के लिए
बदल जाते है कानून
हरे नोट देखते ही
और खरीद ली जाती है
तमाम खुशियाँ
पैसो से ,
एक सवाल आज भी जिंदा है
क्या पैसो से
सब कुछ खरीदी जा सकती है ?
नही ,
नही खरीदी जा सकती
लोगो की मानसिकता ,
पैसो से


टाईम्स ऑफ़ इंडिया , जनवरी ५, २००५
संजय मेहता ( हीरे का व्यापारी ) ने सूरत के पुनागाय इलाके में ३.३८ लाख का एक बंगला ख़रीदा , पर नीची जाती का होने के चलते उसके पडोसियों ने बंगला छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया
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हम होंगे कामयाब

और फ़िर एक दिन ऐसा आएगा
सबकुछ स्वप्न सरीखे हो जाएगा
तब मस्त हवाए गाएंगी
मौसम जादू दिखलाएगा
मै जित की खुशी में नाचूँगा
चीखूंगा चिल्लाऊंगा
पल भर के लिए मै शायद
पागल सा हो जाऊँगा
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हम है कानून के रखवाले

हम करते है पर्दाफाश
झूठ का
और रखते है नज़र
कानून कोई तोड़ने न पाए
जाति धर्म की भावनाओं से ऊपर उठ
बस सत्य का पक्ष लेने का
संकल्प लेते है हम
पर ये क्या
हम में भी कही ,
अब भी जीवित है
छुआछुत की भावना


५ अगस्त , २०००
नई दिल्ली : इलाहाबाद के एक दलित जज ने सुप्रीम कोर्ट में कम्पलसरी रिटायर्मेंट के लिए अपील की तब उनके सक्सेसर ने उनका कोर्टरूम गंगाजल से धुलवाया !

Friday, March 27, 2009

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युवा मन की उड़ान

बादलो के पार शायद
और एक जहा होगा
सपनो में जो है देखा
सारा कुछ वहा होगा
साथ अपने साथ होगा
उस जहा उस देश में
दिल के तार बज पड़ेंगे
वैसे परिवेश में
हम युवा उड़ चले है
धरती अब पावो तले है
आँखों में सपने लिए हम
ख़ुद से कुछ वादे किए हम
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..पर शब्द नही है मेरे पास

सोचा दिल की व्यथा को
कागज़ पर उतारू
तुक लए और ताल से
उसे सवारू
दिल व्यथित है आज
तन्हाई है मेरे पास
परिस्थिति ने मुझे
किया मजबूर
सपने जब हकीक़त से टकराए
हो गए चकनाचूर

भावनाओ को व्यक्त करने के लिए
मै ढूंढ़ रहा हु
शब्दों को
लेकिन असमर्थ हु
उन्हें खोज पाने में

चेहरे पर उदासी है
दिल हार गया है
आंखों में आसू है
पर शब्द नही है मेरे पास
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चले है हम

चले है हम
आज यहाँ से
साथ नही कल अपना होगा
तुम होगे उधर कही,
दूर कही घर अपना होगा

दौड़ पड़े है आज खुशी में
कैदी जो छूटा जंजीरों से
पर क्या हमने तुमने सोचा ?
साथ में कितने रिश्ते नाते टूटे ?

याद तुम्हे भी आएगी
ये दुरी जब बढ़ जाएगी
आज सताते हम एक दूजे को
कल यादे हमें सताएगी
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होली जब भी आती है

होली के रंग में
रंगा चेहरा
किसका है ये चेहरा ?
ये नही पता
पता है बस ये
कि है कोई मदमस्त सा

फटे पुराने कपड़े पहने
रंग लगाने
है आ रहा कोई
ये गली के आवारा लड़के है?
या है कोई ख़ास ?
ये नही पता
पता है बस ये
कि है कोई उल्लास में

सचमुच
होली जब भी आती है
हर दूरियाँ मिट जाती है
फ़िर दिल से दिल मिल जाते है
हर दिल गीत खुशी के गाते है

Tuesday, March 24, 2009

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खेल राजनीति का

क्या तुम्हारे पास
शब्दों के जाल है ?
दो रंग के चेहरे?
एक अच्छा ऐक्टर ?
और छोटा ज़मीर ?
है तो फ़िर
एक मंच है
मंच जहा कोई
कैसा भी आए
बीच का रास्ता अपना लेता है
या फ़िर उस पार ही
अपना आसिया बना लेता है
जियो अपने लिए और उनके लिए भी
या फ़िर उसका दिखावा करो
तिकड़म लगा, किसी तरह खड़े रहो
डर किस बात का ?
अगर पकड़े गए
तो भी भुला दिए जाओगे
जल्द ही फ़िर से
ख़ुद को खड़ा पाओगे
हमें भी अपने अंधेपन का
एहसास नही होता
और तुम्हे भी ख़ुद के कारनामो पर
विश्वास नही होता
ये खेल राजनीती का
क्या सचमुच है इतना गन्दा
विश्वास नही होता

Thursday, March 12, 2009

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कमला करती है पूरी कोशिश

कमला करती है पूरी कोशिश
कोई जान न पाये उसकी बिरादरी
कमला करती है श्रृंगार
और करती है रोज स्नान
चाल ढाल भी अपनी
बिरादरी वालो से अलग
बना के रखती है
पर नौकरी के लिए
वो जब जाती है
उससे उसकी जाति
पूछ ली जाती है.
कमला करती है पूरी कोशिश
फ़िर भी हर बार
वह हार जाती है.


Wednesday, March 11, 2009

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हमारी गीत (Song Of Us)

एक कोशिश ,
आशा है,
जी लेंगे ,
जी भर के हम.

नही महज ये गीत ,जिसे हम गुनगुना रहे.
मिल गए है संग जो, वो दिल है गा रहे.

ये साथ न,छोडेंगे हम
आए भले, जितने सितम

सपनो में देखा था जैसा,
हो अपना जहा एक वैसा.
जी ले जीभर ,
इस जीवन को,
सोचा है हमने ऐसा.

थामे रहे ये हाँथ हम,
आओ सभी ले ये कसम.

Live as if you have to die tomorrow and learn as if you have to live forever ---(Arya)

Life is like playing a violin in public and learning the instrument as one goes on ---(Aashish)

ये मत सोचो की ज़िन्दगी में कितने पल है . ये देखो की हर पल में कितनी ज़िन्दगी है ----(vIx)

Life is just a mirror. what you see out there you must see inside of you. We make a living by what we get , we make a life by what we give. ---(Bhoju)

दिन शायद ऐसे भी आए,
ख़ुद को टुटा हुआ पाये.
याद करेंगे ,
शायद जो ये पल,
आँखें नम हो जाए.

याद रहे अपनी कसम,
थे साथ , है, रहेंगे हम.

ये साथ न ,
छोडेंगे हम
आए भले,
जितने सितम.

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Monday, March 09, 2009

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IIT की धड़कन

हम केजीपी (IIT KGP)अइनी,
आके इहवा पछतईनी. ()
देख इहवा के लाइफ ,
फ्रूस्त (frustrated) हो नी.
हो गईनी.

अब का करीं हम माई?
आगे कुआ बा, पीछे खाई.

हम केजीपी अइनी ,
आके इहवा पछतईनी.

दुनिया IIT KGP के नम्बर वन समझेला लेकिन मोस्ट ऑफ़ जनता इहा फ्रूस्त रहेला .
देखे के की भभुआ जिला के एगो लईका के एह बारे में का कहे के बा :

सोचनी हा मन से खूब पढ़ब,
आगे दुनिया में नाम करब .()
क्लास्वा में माई रे नींद आवेला ,
का जाने पेपर में का लिखब.

प्लान का रहे का कर दिहनी,
बींच मझधारवा में रह नी.

अब का करीं हम माई ?
आगे कुआ बा, पीछे खाई .

हम केजीपी अइनी,
आके इहवा पछतईनी .


जींदगी झंड होवेला इहवा, जींदगी झंड होवेला .

बबुआ हो, कहत रहनी हां नु की बोम्बे चाहे दिल्ली ले ,
काहे मनला हां ... ?

अकैडवे(Academics) खाली मखाइल बा ,
देहवो के हाल गडबडाइल बा.
खा के मेसवा के खानवा ,
जान में बन आइल बा.

वैलुओ आपन कुछु नाही बाटें,
डांटे कुकुरो दौड़ा के काटे ()

अब का करीं हम माई
आगे कुआ बा, पीछे खाई

हम केजीपी अइनी,
आके इहवा पछतईनी

देख सब होवेला , इहे में कोम्प्रोमैइज कर ल.
अरे दुनिया में दुःख सुख आई जाई अब इहे में जीए के बा ?
ललनवा के देखेला ? BIT Mesra में बा ,आ ओही में मस्त रहेला.
अरे भाई कर्नाटको से गइल गुजरल बा? देख बबुलवा के दस हज़ार के नौकरी लागल बा . तू काहे झूठो टेंसअनिया जाला?

आके इहवा पछतईनी.

अब का करीं हम माई?
आगे कुआ बा, पीछे खाई.

हम केजीपी अइनी,
आके इहवा पछतईनी .(रोते हुए )

मत रोअ मत रोअ
अब पछतावे से कुछु होई?
अरे जाए दा मरदे ते नाही इतनो ख़राब नइखे .
IIT हां IIT, दाल भात के कौर ना .

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